समकालीन इतिहास (1871-2001) पेश करने के लिए औपनिवेशिक साम्राज्यवाद की दुनिया के इतिहास पर बहस.
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इस दिन दुनिया से औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का अंत हो जायेगा जिसकी नींव 150 वर्ष पहले ब्रिटेन ने भारत में डाली थी।
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वह औपनिवेशिक साम्राज्यवाद, जिसका भारत में सामाजिक आधार ब्राह्मणवाद (या सामंतवाद है जो ब्राह्मणवाद के रूप में खुद को व्यक्त करता है).
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इस धारणा ने 18 वीं शताब्दी के दौरान सैद्धांतिक रूप धारण किया और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का पतन हुआ, तो इसे विशेष राजनीतिक व सामाजिक मान्यता मिली।
5.
भूमंडलीकरण के इस दौर में या कहें कि नव औपनिवेशिक साम्राज्यवाद के इस दौर में भारतीय भाषाओं का विपुल साहित्य अंग्रेजी के माध्यम से दुनिया में जाना चाहिए और इसी तरह अंग्रेजों व अन्य भाषाओं से भारतीय भाषाओं में आना चाहिए।
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उसकी स्थापना में संवैधानिक समाजवाद के स्थान पर औपनिवेशिक साम्राज्यवाद की बू आना स्वाभाविक है| देश के 65% गरीब, वंचित और अशिक्षित वर्ग का रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड में वास्तव में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है| दूसरी ओर भारत से 14 वर्ष बाद 1961 में स्वतंत्र हुए दक्षिण अफ्रिका के रिजर्व बैंक के निदेशकों में से एक कृषि व एक श्रम क्षेत्र से होता है|